पिछले दो दिनों से वेदप्रताप वैदिक का मामला गरमा रहा है. उसका जो होना है होगा. लेकिन जो कई मुद्दे उठे उस संदर्भ में पुरानी कुछ बातें याद आयी.
१) कांग्रेस के बड़े नेता थे वसंतरावजी साठे. वर्धा से सांसद थे. श्रीमती इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में सुचना-प्रसारण मंत्री भी थे. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक थे. वे स्वयं इस बात को नकारते नहीं थे. संघ के तृतीय सरसंघचालक बालासाहब देवरस के आयु के ८० वर्ष पूर्ण होने पर सहस्रचंद्रदर्शन का जो कार्यक्रम नागपुर के रेशिमबाग मैदान पर आयोजित किया गया था उसमे भी वे संमिलित हुए थे.
२) वर्तमान में महाराष्ट्र के एक बड़े ख्यातनाम संपादक है; जो कुख्यात जर्नैलसिंग भिन्द्रनवाले से मिले थे. जर्नैलसिंग भिन्द्रनवाले ये शख्स था जिसके कारण श्रीमती इंदिरा गांधी को अमृतसर के स्वर्णमंदिर में ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार करना पड़ा था और बाद में उसीके कारण जान से हाथ धोना पड़ा था. ये संपादक आतंकवादी जर्नैलसिंग भिन्द्रनवाले से मिलने के बाद बड़े प्रभावित हुए थे. और वो कितने भावुक है, अपनी माँ के बारे में बोलते समय उनके कैसे आंसू निकल आये आदि बाते वे हमेशा बताते रहते है.
३) हजारों लोगों की जान लेनेवाले नक्सलियों का पक्ष लेनेवाले तो खुले आम चैनलों पर देखे जाते है.
४) यूपीए सरकारने कश्मीर के संबंध में जो अधिकृत समिति बनाई थी; जिसमे टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के भूतपूर्व संपादक दिलीप पाडगावकर शामिल थे; उसने तो नई दिल्ली के विज्ञान भवन में खुलेआम, जाहिर तौर पर कश्मीर के स्वयंनिर्णय की बात की थी.
- श्रीपाद कोठे
१६ जुलै, २०१४
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